Saturday, October 11, 2008

यादें

अध खुली पलके रातो की
अध खुले दरवाजे यादो के
यादो के कमरो में तो
हर वक़्त लेट जाते हो ......
मगर आते नहीं.......
हक़ीक़त की तस्वीरो मे..
आओ, आओ ना...
की तुम आते नही..

कहाँ हो ,की ढूँढती है
मेरी नज़र .........
आओ, आओ ना...
की तुम आते नही..

धड़कने तो बड़ा.ते हो
मगर खुद आते नहीं...
साँसे थम थम चलती है
की नब्ज़ चल चल कर रुकती है
आओ, आओ ना...
की तुम आते नही..

उन दीवारो के कोने में
चल कर बैठे फिर से
की दो एक हो जाए
आओ, आओ ना ...
की तुम आते नही..

थम थम कर चलना
और चल चल कर रुकना
आकर पीछे से मुझे छेड़ जाना
सब यादो में चले आते है
पर तुम नहीं आते......
की आओ , आओ ना .....

कहाँ हो की तुम तक
आवाज़ भी नहीं जाती
सब चुप चुप कर चोरी से आते है
मगर तू नहीं......

आओ ,आओ ना....
तुम आते क्यों नही ??

1 comment:

Piyush k Mishra said...

hey!! its wooooooooooooow!!

great yaar just great.
kya kavita likhi hai.m touched.beautiful poem.