Saturday, December 3, 2011

बादल

बादलो पर पड़ा एक
कहानी का टुकड़ा...
जो आँखों में काफी
देर रहा .....
और मुहँ का जायके
के संग बार बार
खेलता  रहा.... 

बादलो पर पड़ा एक कहानी
एक  टुकड़ा ...

उम्र उस बादल के संग
चलती रही ...
नमकीन पानी
बरसता रहा ..
पर वो बदल का
बुनकर न आया

बादलो पर पड़ा एक कहानी
एक टुकड़ा ...

क्या पता था
की कहानी कुछ
यूँ  बदलेगी ..
में ज़मीन पर
रही..
वो असमान में
नया बादल बुनता
रहा ....

बादलो पर पड़ा एक कहानी
एक टुकड़ा ...








Wednesday, October 12, 2011

मकान

तनहा  सा ,
सुनसान गली में खड़ा ,
एक मकान
जिसकी सीडियों से 
चड़ता अँधेरा ,
मकान को डराता
धमकाता...अँधेरा 

गलियों से जाते
हर एक मेहरबान  
को डर डर के
डराता ये मकान ..

न जाने कब किसका
घर था ..
मगर आज दूसरे की
दी हुई उधार रोशनी का  
मुहताज मकान  ..

बेचारा मूक , शांत सा
खड़ा वो मकान .... 


Sunday, August 28, 2011

फेसबूक


बेकार के दीवाने थे
बेकार का छुपाना था
न जाने क्यो गलियो
से छुप-छुप निकला करते थे
अजब सा पागलपन था ....
माँ के आँचल में बेठ
माँ की आज़ादी के
सपने बुनते थे
एक माँ को बिन
बोले दूसरी माँ के लिए
जान पल मे दे देते थे...
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काश की आज़ादी के
वक़्त भी फेसबूक होता
हर दो कदम पर दीवानो का
कुछ और स्टेटस होता
जान देने से पहले गले में
फंदा लगाकर फोटो लेते
और फसेबूक पर सबकी कॉमेंट पढ़ते
;)

Monday, August 15, 2011

वेदना

पुरष :

तेरे बालों की महक अब भी
मेरे बिस्तर में पड़ी है ...
उस रात सिमट गयी थी
जब खुद में ही तू ..
उस चद्दर की नमी
अब भी सूखी नहीं ... ....

औरत :

उस रात तेरी गर्मी में कुछ न बचा
तेरे अंगुलियों का नर्म एहसास
शब् को आज भी सवारते है
पर कमरे का सामान अब भी
बिखरा पड़ा है ...........

Saturday, July 30, 2011

चाह

क्या फिर वही तुम
5 गज कपड़ा ले आए
चोली और साड़ी ....
क्या कोई लिबास है ??

इतनी से बात पर
तुम तुनक जाते हो
और रूठ कर...
खुद को धुए के छल्लो
में उड़ाते हो..

समझते क्यो नहीं ??
ज़िंदगी साड़ी से आगे
जा चुकी है ..
5 गाज नहीं अब बस 2
मीटर ही कपड़ा काफ़ी
है...

जिसमे कुछ कुछ खुला मन
कुछ कुछ ढका हो....
और मंत्र मुग्ध सुंदरता हो

क्यो इतनी इतनी से
बात पर झिड़क जाते हो
क्या बुराई है इसमे ??
नये फॅशन का दौर
है ..

तुम भी तो करीना
कटरीना ,बिपाशा को
ललचाई नज़रो से देखते हो
और फिर मुझे क्यो हर
बार 5 गज कपड़ा
थमा देते हो...

आईना

टूटे आईने ने मुझसे पूछा.....
तेरी सूरत में दरारें क्यो है...

मेंने मुस्करा कर टूटे शीशे
को आईने के सामने रख दिया ॥

Friday, April 15, 2011

विश्वास

ना सीमाए हो ना दीवारे हो जीने के लिए .... बस एक हौसला चाहिए मुझे जीने के लिए .... तो क्या अगर पंख नहीं उड़ान के लिए...... मन का विश्वास चाहिए उस आसमान को छूने के लिए.... जिओ जिओ ऐसे जिओ जैसे आसमान को कोई शितिज नहीं ....... बस ज़रा सा हुन्नर चाहिए जीने के लिए ......