आओ कुछ अंधेरो से
बातें कर ले ..........
नींदों को चुराकर
बातें कर ले ..........
नींदों को चुराकर
तकियों में भर दें ||
ये काली काली रातें .......
चाँद के साथ टहलती हैं
झाड़ियों जंगलों से छुपते -
छुपाते सहर की किनारे मिलती हैं ||
आँखों के बंद होते बड़े दरवाजों में
तुम जल्दी से छुप जाओ ............
देखो ना रात पर भी सूरज का पहेरा हैं ||