Friday, April 27, 2012

आजकल लेन देन हमने बंद कर दिया है

न वो आते है न ही खत लिखते है
हमने भी उनका इंतज़ार छोड़ दिया है
 
कितने है रंग हर चहरे पर
एक छुपाओ,तो दूजा झँकता है
लगता है रंग बड़े सस्ते है ,,,

सौदा


दिन रात का सौदा
ख़त्म ही नहीं होता
दिन बिक जाता है पर
रात अपनी ही सौदागर
खरीदार बहुत है शातिर
अंधेरो की भी लूटते है
चाहे,सिक्के ने हाथ तोड़
दिया ...

Wednesday, April 4, 2012

फूँक दो मुझ पर कोई ऐसा जादू टोना
न कल ,न आज ,न कल रहे बाकी ..
 
 

Monday, April 2, 2012

नज़्म

जो  नज़्म रात भर सीने में
करवट लेती है वो... अक्सर
सुबह मुझे छोड़ मेरे तकिये
के सिरहाने पड़ी मिलती है ...

सांसो को चीर कर जो आवाज़े
अल्फाज़ो की शक्ल में दुआओं
का जामा पहन बरसती थी ...


अब रातो को वो खामोशी से
बहते नमकीन पानी में तेरी
तस्वीर को धोया करते है.....

ज़िंदगानी

अक्सर में, सोते जागते
खुद को तलाशती हो ..
में वो ही हो या कुछ और
या कोई नयी तेरी कहानी||
जिस देख, तू अक्सर मुँह
फेर लेता है या कुछ डर
कर सिमट जाते हो...

या तेरे पलको पर जनमी
या अजन्मी ..........
आँखों से बरसी तेरे ही
नाम की, बीते पन्नो
पर मुँह ज़ुबानी ज़िंदगानी हो...