Friday, October 26, 2012

कुत्ते

नगर निगम की गाड़ी
अचानक आकर रुकी
दौड़ती भागती सड़क पर

उस में से चंद लोग उतरे

कला रंग न था उनका 
न ही बड़ी बड़ी मूच्छे 
न ही कही से वो यमदूत
दिख रहे थ ....पर..


हां सड़क पर आवारा
कुत्ते पकड़ना उनका काम था

न जाने कितने कुत्तो को पकड़ा
वो चाट के ठेले के पास लगी
बेंच के नीचे सोते हुए कालू
को पकड़ा... सड़क पर भागते
हुए भूरे को दबुच लिया
वो बेचारा चंपू कहा बच
पाया ... सब जल्दी जल्दी पकड़े
गये .....

सड़क पर ना जाने कितने
जनवार घूम रहे थ
जो हर औरत को देख
कुछ भौक रहे थ
या लड़कियो को दबोच रहे
थे..

गाड़ी वही आसपास थी
पर गाड़ी वाले लोग नासमझ
थे .. उन्हे इंसान और कुत्ते
में फ़र्क नहीं करना आया

वरना सरकार ने तो ये हुकुम
निकाला था की हर आवारा कुत्ते
को धर लिया जाए..

2 comments:

Shalini kaushik said...

आवारा तो और भी बहुत हैं क्या सरकार का उनके प्रति कोई कर्तव्य नहीं है बेचारे कुत्ते ही उनकी जद में आते हैं सार्थक भावपूर्ण प्रस्तुति बधाई

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत अच्छी रचना...
गहन भाव हैं....
कुछ टाइपिंग की गलतियां सुधार लीजिए बस..
अनु