सुबह से कई बार लिखने के लिए बैठी हूँ पर हर बार कुछ न कुछ काम देख उठ जा रही हूँ । कभी बाई, कभी घर की डस्टिंग के लिए तो कभी अपनी छोटी बेटी(Punthali) को लेने, फिर उसके साथ रहना उसकी बेमतलब की ख़ुशी का हिस्सा बनाना और उसकी ढेर सारी बातें ,फिर कुछ खिलाना और फिर Rakshandha के आने के इंतज़ार के बीच ओर हज़ार काम आ जाते है
बच्चो के निकलते ही मुझे अशोक के ऑफिस जाने की तैयारी करनी पड़ती है इन्ही भागते दौड़ते वक़्त में से कभी कभी मैं मुठ्ठी में अपना वक़्त छुपाकर कोने में बैठ जाती हूँ उस छोटे से वक़्त में कभी क्लास लेती हूँ तो कभी घर से मिलती हूँ । कुछ दिन पहले तो कुछ static pages वाली साइट पर काम कर रही थी अब वो खत्म है तो लगा अपनी लेखनी की जा सकती है मगर घर तो ऐसा कुआँ जो कभी भरता ही नहीं ,कितना भी कुछ करो ,कोई न कोई काम मुँह उठाये खड़ा रहता है । कभी बच्चो के शेल्फ देखो तो कभी घर के कोने ।
अशोक का टाइम उत-पटांग होने से मैं पूरी उथल पुथल हो जाती हूँ । ये IT की दुनियाँ वाले बहुत नाचते है मैं भी इसी दुनियाँ से हूँ पर खुद को मैंने कंप्यूटर क्लासेज और बच्चो तक समेट लिया है
बच्चो के Exams आ गए है उन्हें पढ़ाना हैं फिर मिलती हूँ ॥
बच्चो के निकलते ही मुझे अशोक के ऑफिस जाने की तैयारी करनी पड़ती है इन्ही भागते दौड़ते वक़्त में से कभी कभी मैं मुठ्ठी में अपना वक़्त छुपाकर कोने में बैठ जाती हूँ उस छोटे से वक़्त में कभी क्लास लेती हूँ तो कभी घर से मिलती हूँ । कुछ दिन पहले तो कुछ static pages वाली साइट पर काम कर रही थी अब वो खत्म है तो लगा अपनी लेखनी की जा सकती है मगर घर तो ऐसा कुआँ जो कभी भरता ही नहीं ,कितना भी कुछ करो ,कोई न कोई काम मुँह उठाये खड़ा रहता है । कभी बच्चो के शेल्फ देखो तो कभी घर के कोने ।
अशोक का टाइम उत-पटांग होने से मैं पूरी उथल पुथल हो जाती हूँ । ये IT की दुनियाँ वाले बहुत नाचते है मैं भी इसी दुनियाँ से हूँ पर खुद को मैंने कंप्यूटर क्लासेज और बच्चो तक समेट लिया है
बच्चो के Exams आ गए है उन्हें पढ़ाना हैं फिर मिलती हूँ ॥
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