जब मन उलझा हो और अंदर बहुत तूफ़ान उठा हो तब एक यही जगह है मेरी जहाँ सब निकल देना आसान होता हैं शायद किसी से उम्मीद भी नहीं की जा सकती की कोई मुझे समझे और क्यों समझे ?? किसी ने ठेका थोड़ी न लिया है मुझे सुनने का , मुझे समझने का है न दोस्त !!
सुनो न , कभी कभी लोग यूही बिना बातें समझे ,बिना बात की तह में गए कई बातों को गाँठ बाँध लेते है जल्दबाजी उनकी आदत है शायद ,क्यों इतनी जल्दी में फैसला ले लेते है बिना सही गलत को समझे ,क्यों इतना ईगो , अपने बदन में गाँठ बांधकर रखते है की खुद को सिवा किसी को सही मानते ही नहीं।
पता है दोस्त , ये बात उस दिन की है जब में कॉलेज में आगे की सीट पर अपनी एक दोस्त के साथ जिसे मैं बहुत अच्छा दोस्त मानती थी उसके साथ बैठी थी , उसको काफी बार नोटिस किया था हर बात पर compare करते , बिना मतलब का कम्पटीशन में उलझते , पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि दोस्त थी वो , कोई ऐसा करता है तो नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है बच्चा समझ कर ,क्या फर्क पड़ता है यही सोचकर जवाब भी नहीं देती , पर उस दिन तो उसने झगड़ा हो कर लिया इस बात पर लेकर की मैंने ये कह दिया की तुम्हारे लिए आसान है काम करना क्योंकि तुम्हारा एक ही बच्चा है और मेरे दो , और logically ये बात सच है , एक से सारे काम आधे और दो से सारे काम डबल , उनके खाने से लेकर उनको पढ़ाने तक का काम , अगर जरा सा भी लॉजिक हो तो आप आसानी से समझ जाएंगे की लोग दो बच्चे आज के वक़्त में क्यों नहीं करते क्योंकि उतना ही टाइम दूसरे को भी देना होता जितना पहले को ,हाँ मैं एक बच्चे को लेकर कई काम आसानी से कर पायी हो , चलो खेर,.. . दोस्त पता है उन्हें ये बात, मैं समझ ही नहीं आई और मेरा प्रॉब्लम ये रहा है की मैं झगड़ा देख ही पैनिक हो जाती हूँ इसलिए कोई जवाब देना मुश्किल होता है मैं सिर्फ इतना ही बोल पायी की जब तुम्हारे होंगे तब समझोगे , उस पर भी अजीब से जवाब था , और दोस्त पता है वो दो लोग मुझसे झगड़ा कर रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे प्लान करके आये हो ,खेर हद तब हुई जब उसने मेरी माँ से अपनी माँ का compare कर डाला और कह दिया मेरी बहुत अच्छी है , जानते हो क्यों ??? क्योंकि उसकी माँ सारा काम करके देगी और मेरी माँ इसलिए बुरी क्योंकि मैं अपनी माँ से काम नहीं लेती ,माँ बाप से काम न लेना क्या माँ बाप को ख़राब बना देता है ??
दोस्त पता है उन दोनों में से एक एक ने तो मुंह बना लिया है पता नहीं क्यों , पर क्या किया जा सकता , जहाँ सिर्फ समझदारी का झंडा होता है उन्हें कुछ समझाया भी नहीं जा सकता। . वो अपनी समझ से मजबूर है होना
भी चाहिए , क्योंकि हम अपनी सोच के सहारे आस पास की दुनियाँ बनाते है जितनी बड़ी सोच होगी उतना कुछ नया ही सीखने को मिलेगा , ये एक छोटी से बात जिसे सिर्फ मैंने अपनी तकलीफ बयां करने के लिए कहा था न की छोटा बड़ा जताने के लिए, जिसे ईगो पॉइंट बनाकर ईगो की गाँठ में बांधकर रखा है
समझ वैसे होती भी बहुत छोटी है जानते हो दोस्त इतनी आसानी से की गयी बात आपका ईगो जाग जाता है कितना मुश्किल होगा जीना फिर ???
हार बात पर ये उम्मीद करना की सामने वाला मुझे समझे और में समझदार हूँ मेरे मुताबिक बात करे तो फिर वो दोस्त कैसे ??
माँ का compare करना तो बच्चो से भी ज्यादा छोटी हरक़त लगती है खैर , मैं तो सब सीख रही हूँ। .आओ
सबका स्वागत है मैं सीखने को तैयार हो ।
ईगो हम इंसानो से ज्यादा बड़ा है। . ये सीख लिया मैंने ..
छोटी समझ में जीना उतना आसान नहीं दुआ करती हूँ सारे लोग मन से भी स्वास्थ हो।
समझ का क्या कभी भी आ जाएगी ,आप सुनिए मेरी प्रिय आबिदा परवीन जी को , कहाँ ये छोटी छोटी बेकार की बातों में वक़्त जाया कर रहे है
https://www.youtube.com/watch?v=C7UrtinSwzc
सुनो न , कभी कभी लोग यूही बिना बातें समझे ,बिना बात की तह में गए कई बातों को गाँठ बाँध लेते है जल्दबाजी उनकी आदत है शायद ,क्यों इतनी जल्दी में फैसला ले लेते है बिना सही गलत को समझे ,क्यों इतना ईगो , अपने बदन में गाँठ बांधकर रखते है की खुद को सिवा किसी को सही मानते ही नहीं।
पता है दोस्त , ये बात उस दिन की है जब में कॉलेज में आगे की सीट पर अपनी एक दोस्त के साथ जिसे मैं बहुत अच्छा दोस्त मानती थी उसके साथ बैठी थी , उसको काफी बार नोटिस किया था हर बात पर compare करते , बिना मतलब का कम्पटीशन में उलझते , पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि दोस्त थी वो , कोई ऐसा करता है तो नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है बच्चा समझ कर ,क्या फर्क पड़ता है यही सोचकर जवाब भी नहीं देती , पर उस दिन तो उसने झगड़ा हो कर लिया इस बात पर लेकर की मैंने ये कह दिया की तुम्हारे लिए आसान है काम करना क्योंकि तुम्हारा एक ही बच्चा है और मेरे दो , और logically ये बात सच है , एक से सारे काम आधे और दो से सारे काम डबल , उनके खाने से लेकर उनको पढ़ाने तक का काम , अगर जरा सा भी लॉजिक हो तो आप आसानी से समझ जाएंगे की लोग दो बच्चे आज के वक़्त में क्यों नहीं करते क्योंकि उतना ही टाइम दूसरे को भी देना होता जितना पहले को ,हाँ मैं एक बच्चे को लेकर कई काम आसानी से कर पायी हो , चलो खेर,.. . दोस्त पता है उन्हें ये बात, मैं समझ ही नहीं आई और मेरा प्रॉब्लम ये रहा है की मैं झगड़ा देख ही पैनिक हो जाती हूँ इसलिए कोई जवाब देना मुश्किल होता है मैं सिर्फ इतना ही बोल पायी की जब तुम्हारे होंगे तब समझोगे , उस पर भी अजीब से जवाब था , और दोस्त पता है वो दो लोग मुझसे झगड़ा कर रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे प्लान करके आये हो ,खेर हद तब हुई जब उसने मेरी माँ से अपनी माँ का compare कर डाला और कह दिया मेरी बहुत अच्छी है , जानते हो क्यों ??? क्योंकि उसकी माँ सारा काम करके देगी और मेरी माँ इसलिए बुरी क्योंकि मैं अपनी माँ से काम नहीं लेती ,माँ बाप से काम न लेना क्या माँ बाप को ख़राब बना देता है ??
दोस्त पता है उन दोनों में से एक एक ने तो मुंह बना लिया है पता नहीं क्यों , पर क्या किया जा सकता , जहाँ सिर्फ समझदारी का झंडा होता है उन्हें कुछ समझाया भी नहीं जा सकता। . वो अपनी समझ से मजबूर है होना
भी चाहिए , क्योंकि हम अपनी सोच के सहारे आस पास की दुनियाँ बनाते है जितनी बड़ी सोच होगी उतना कुछ नया ही सीखने को मिलेगा , ये एक छोटी से बात जिसे सिर्फ मैंने अपनी तकलीफ बयां करने के लिए कहा था न की छोटा बड़ा जताने के लिए, जिसे ईगो पॉइंट बनाकर ईगो की गाँठ में बांधकर रखा है
समझ वैसे होती भी बहुत छोटी है जानते हो दोस्त इतनी आसानी से की गयी बात आपका ईगो जाग जाता है कितना मुश्किल होगा जीना फिर ???
हार बात पर ये उम्मीद करना की सामने वाला मुझे समझे और में समझदार हूँ मेरे मुताबिक बात करे तो फिर वो दोस्त कैसे ??
माँ का compare करना तो बच्चो से भी ज्यादा छोटी हरक़त लगती है खैर , मैं तो सब सीख रही हूँ। .आओ
सबका स्वागत है मैं सीखने को तैयार हो ।
ईगो हम इंसानो से ज्यादा बड़ा है। . ये सीख लिया मैंने ..
छोटी समझ में जीना उतना आसान नहीं दुआ करती हूँ सारे लोग मन से भी स्वास्थ हो।
समझ का क्या कभी भी आ जाएगी ,आप सुनिए मेरी प्रिय आबिदा परवीन जी को , कहाँ ये छोटी छोटी बेकार की बातों में वक़्त जाया कर रहे है
https://www.youtube.com/watch?v=C7UrtinSwzc
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