Sunday, July 19, 2015

चमकीला प्रेम

सूरज जला कर खाक करता हैं दिन 
वक्त अपनी ही साजिशो में उलझा ,
चॉद ठहरा हैं ,बुझी रात की राख के ढेर पर...
फिर भी


देखो दूसरे छोर पर सुलगता दिन बादलों में छिपा ,
और सफेद बादल पर लिख रहा हैं, चमकीला प्रेम