Friday, April 22, 2016

सपने में कई रंग भरे हैं

तेरी गलियो को छोड़ ,मैं अब उस जगह खड़ी हूँ,
जहाँ न तेरा दर है न कोई गली
अंधेरे का टुकड़ा,मेरी छाया को समेटे
खड़ा हैं ,
मैने हथेली पर या और खुद को समेटकर
उस पहाड़ी पर चढ रही हूँ जहाँ से
बादलो में
छुपा सूरज अंधेरे
को खाकर ,
डकार मार
आसमान मे मुस्कराकर
ठहर जाता हैं
सपने में कई रंग भरे हैं smile emoticon

Tuesday, April 19, 2016

सागर सा शान्त

कभी कितना खूबसूरत सा लगता है
तन्हा रहना ,किसी से शिकवा नहीं
न ही उम्मिद, न रूठना,न मनाना
कई बार खुद का न होना भी
मुझे अपने भीतर तक भर देता है
मैं हर पल उत्सव मे हूँ
इसलिए नहीं कि मैंने कुछ
पा लिया,बल्कि इसलिए
कि खोना मेरे लिए आसान रहा
तुम्हे पाने से कहीं ज्यादा।
सुनो,मन कभी कभी बहुत
गहरे सागर सा शान्त बहता है

Thursday, April 7, 2016

दिल में ही कही हैं

कुछ किस्से कभी बयान नहीं
होते ,कुछ दर्द की जमीन
नहीं होती
धड़कने फिर भी दर्द के
धागे से ही सिली जाती हैं
सुन ,तू दिल में ही कही हैं बाकी

चमकते ठोस मोती

साँसे जब गुलाम होने के लिए तरस
रही थी और
बकरीयॉ घास चरकर इन्तजार
कर रही उस रात का ,जब सब
खत्म होने वाला हैं 
वो मन भी ,जो घास के कोरो पर
उगने लगता है,एक चमकती
ओस की बूंद की तरह..
वो गड़रिया भी ,जो रोज
बकरीयों को मन चराने
आता है और वो रात
भी जो ओस बनकर
घास की कोरो पर
ठहर जाती है
सब एक दिन खत्म
हो जाएगा ,शेष रह
जाँएगे,चमकते ठोस
मोती
घास की कोरो पर..

शहद

जब प्रेम की चिट्ठी वो बाँच रहा था 
उसे मालूम न था आँख की कोरो 
पर ठहरा पानी ,खारा पानी नहीं ,
प्रेम की शहद हैं

साँसे

जिन्दा रहने के लिए
कुछ यादों का होना
जरूरी है
चन्द साँसे उस सन्दूक 
मे रख आई हूँ जहाँ
तुम्हारी यादे साँसे
ले रही हैं

इन्तजार...

जिन्दगी आसानी से कहाँ चलती है वो अपने हिसाब से सारे रास्ते ढूढं लेती हैं बहती रहती हैं एक कल कल करती हुई नदी की तरह ,जिसे पता भी नहीं किस तरफ मुड़ना हैं अगला कौन सा मोड़ हैं
जिने के लिए सब वजह ढूढंते हैं पर कई बार कोई भी वजह नहीं होती पर बेवजह आप प्रेम मे पड़ जाते हो ,और लगता हैं जिन्दगी को रफ्तार मिल गई ,वो ऐसा सोच ही रहा था कि चलती गाड़ी की रफ्तार बड़ गई और सब आँखो से बहने लगा ... क्या वो सच में प्यार मे था दर्द रिस रहा था वो पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहता था
किसी मोड़ पर वो उसकी जिन्दगी में आकर ठहर गई थी यूँ खामोश उसे देखता रहा ,जैसे जिन्दगी ने आकर उसकी झूली फूलो से भर दी ..पता नहीं जिन्दगी कब कहाँ आपके दामन के लिए प्यार लेकर खड़ी हो ,कौन सा मोड़ आपके दिल की तरफ मुड़े.. तमाम दर्द से गुजरती हुई नदी को प्रेम एक ठंडे झूके सा छू जाता हैं
प्रेम ही है जो न जाने कब आता हैं न जाने कब जाता हैं जिसे आने से कोई रोक नही सकता तो उसके जाता देखकर रोक भी नहीं सकते ।
कोई मोड़ प्रेम को ठहरा सकता तो जाने वाले रास्ते कभी नहीं बने होते ।
वो ज़ार जांर रोया पर जाने वाला चला गया ..
कुछ थोड़ी नहीं बदला ,बस ,आँसू दिल मे बर्फ की तरह जम गए ,और हर साँस से ठंड़ी अहा निकलती रही ।
प्रेम की कोई गली नहीं जिसमे बैठकर कोई किसी को आवाज दे और कोई झट से बाहर आए... वो रास्ते हैं जिस पर खामोशी पसरी रहती हैं खामोशी की आवाज बुहत तेज होती हैं पर सुनता फिर भी कोई नहीं
खैर गाड़ी गन्तव्य तक पुहंच ही जाती है कभी टूटी यादों के साथ तो कभी प्यार मे..
तुम मुझ से वहाँ मिलना
जहॉ समुन्दर के दो किनारे न हो
और न ही धरती प्यासी हो अम्बर को चूमने के लिए
इन्तजार...

फुरसत

कुछ किस्से कहानीयॉ ,
जेबो में मैनै भी रखी हैं
फुरसत की हैं वो सब,
बस एक फुरसत ढूंढ रही हूँ जिने के लिए

चमक

वक्त ने जलाकर खाक पहला दिन  किया। 

रफ्ता रफ्ता दिल बहल रहा है फिर दुनियाँ
के तमाशो से,डर हैं फिर कहीं जले सूरज की
राख आसमान को काला न कर दे और मन
टिमटिमाते सितारो को देख अपनी
चमक ढूंढने लगे...

Intolerance

नेताओ की राजनिती खूब हैं tolerance उनकी जवाब दे रही हैं और इल्जाम जनता पर...
मेरे पड़ोस में रह रहे खान भाई अपनी दो बिवीयों मे उलझे हुए।और वो शर्मा जी आफिस के कामो से निपटकर, शाम को चढया हुआ हैंगओवर से सुबह आजाद होने के रास्ते ढंढते हैं
वो औरत जो सड़क पर मटके बेचती हैं ३ बेटियों के बाद बेटा आएगा या नहीं इसमे उलझी हैं और मटका बिना धर्म पूछे ,बेच देती हैं 
पता हैं जब कभी मैं अपनी बेटी को बस स्टोप पर छोड़ने जाती हूँ तब मुनसिपल स्कूल के ४-५ बच्चो को एक साथ अखबार में झाकँते देखती हूँ धर्म की बात नही करते ,अखबार में बिखरी असहिष्णुता देखते हैं पर साथ - साथ में
अरे हॉ वो खान भाई हैं न वो इडिया पकिस्तान के मैच में इडिया के जीतने पर सबसे पहले वो मुहँ मिठा कराते हैं
चलो कुछ नया करते हैं आओ थोडं से और बडे़ हो जाए||

ये लिखा गया था मेरी डायरी में ४ Nov 2015  को 

आसान सूद

जिन्दगी को आसान सूद पर रखा हैं
बार -बार ये न पूछो अब क्या होगा