Kitaab
Thursday, April 7, 2016
शहद
जब प्रेम की चिट्ठी वो बाँच रहा था
उसे मालूम न था आँख की कोरो
पर ठहरा पानी ,खारा पानी नहीं ,
प्रेम की शहद हैं
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment