Thursday, April 7, 2016

Intolerance

नेताओ की राजनिती खूब हैं tolerance उनकी जवाब दे रही हैं और इल्जाम जनता पर...
मेरे पड़ोस में रह रहे खान भाई अपनी दो बिवीयों मे उलझे हुए।और वो शर्मा जी आफिस के कामो से निपटकर, शाम को चढया हुआ हैंगओवर से सुबह आजाद होने के रास्ते ढंढते हैं
वो औरत जो सड़क पर मटके बेचती हैं ३ बेटियों के बाद बेटा आएगा या नहीं इसमे उलझी हैं और मटका बिना धर्म पूछे ,बेच देती हैं 
पता हैं जब कभी मैं अपनी बेटी को बस स्टोप पर छोड़ने जाती हूँ तब मुनसिपल स्कूल के ४-५ बच्चो को एक साथ अखबार में झाकँते देखती हूँ धर्म की बात नही करते ,अखबार में बिखरी असहिष्णुता देखते हैं पर साथ - साथ में
अरे हॉ वो खान भाई हैं न वो इडिया पकिस्तान के मैच में इडिया के जीतने पर सबसे पहले वो मुहँ मिठा कराते हैं
चलो कुछ नया करते हैं आओ थोडं से और बडे़ हो जाए||

ये लिखा गया था मेरी डायरी में ४ Nov 2015  को 

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